Thursday, August 22, 2013
Wednesday, August 21, 2013
शाहजहांपुर और कानपुर की यात्रा
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आस्था अपनी मम्मी के साथ |
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मेरी भाभी शोभनाकुछ देखती हुयी |
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मेरी भाभी शोभना |
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मेरी भाभी शोभना |
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मेरी भतीजी आस्था |
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मेरी माताजी और भाभीजी घर से आते समय |
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मर्मिका प्रेरणा मैं और मेरी सासुजी |
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मर्मिका अपने नाना नानी के साथ |
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शिवानी अपने माता पिता के साथ |
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मार्मिका ,शिवानी और प्रेरणा |
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शिवानी और मार्मिका घर के बाहर |
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मार्मिका गोलगप्पे खाते हुयी |
अभी हाल में ही मैंने अपने परिवार के साथ शाहजहांपुर और कानपुर की यात्रा की। इस दौरान समय कैसे कट गया मालूम ही नहीं चला। काफी अरसे के बाद अपने परिजनों से मुलाकात कर खूब मजा आया।
मदन मोहन सक्सेना।
Tuesday, August 20, 2013
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन की बधाई ओर शुभकामनायें ...
रक्षाबंधन और श्रावण पूर्णिमा ये दो अलग-अलग पर्व हैं जो उपासना और संकल्प का अद्भुत समन्वय है। और एक ही दिन मनाए जाते हैं।
रक्षाबंधन का त्यौहार आम तौर पर भाई – बहन के प्यार और अटूट रिश्ते की
पहचान माना जाता है (हिंदी फिल्मो ने रक्षाबंधन को ये रूप दिया है), मगर
हकीकत में ऐसा नहीं है | दरअसल रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ है रक्षा का
बंधन… इस दिन कोई भी स्त्री/पुरुष, किसी भी पुरुष/स्त्री को रक्षा सूत्र
(राखी ) बांध कर अपनी रक्षा का प्रण ले सकती/दे सकता है और रक्षा सूत्र
बंधवाने वाला पुरुष/स्त्री आजीवन इसे निभाने का वचन देता है|
इस त्यौहार से जुडी कई कथाये है जिनमे एक चित्तोड़ की रानी कर्मवती का
किस्सा सबसे प्रमुख है | इसके अनुसार कर्मवती ने दिल्ली के मुग़ल बादशाह
हुमायूँ को राखी भेज अपनी रक्षा करने को कहा, हुमायूँ ने रक्षा सूत्र का
मान रखते हुये कर्मवती को अपनी बहन मान कर उसकी रक्षा की और गुजरात के
बादशाह से जंग की |
इसके अतिरिक्त पुरातन व महाभारत युग के धर्म ग्रंथों में इन पर्वों का
उल्लेख पाया जाता है। यह भी कहा जाता है कि देवासुर संग्राम के युग में
देवताओं की विजय से रक्षाबंधन का त्योहार शुरू हुआ। इसी संबंध में एक और
किंवदंती प्रसिद्ध है कि देवताओं और असुरों के युद्ध में देवताओं की विजय
को लेकर कुछ संदेह होने लगा। तब देवराज इंद्र ने इस युद्ध में प्रमुखता से
भाग लिया था। देवराज इंद्र की पत्नी इंद्राणी श्रावण पूर्णिमा के दिन
गुरु बृहस्पति के पास गई थी तब उन्होंने विजय के लिए रक्षाबंधन बाँधने का
सुझाव दिया था। जब देवराज इंद्र राक्षसों से युद्ध करने चले तब उनकी पत्नी
इंद्राणी ने इंद्र के हाथ में रक्षाबंधन बाँधा था, जिससे इंद्र विजयी हुए
थे। यानि के एक पत्नी ने अपने पति को रक्षा सूत्र बांध कर उसकी रक्षा का
वचन निभा सकती है |
कहते हैं कि एक बार भगवान श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लगने के कारण खून
निकलने लगा। यह देखकर द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी फाड़कर कृष्ण के हाथ
में बांध दी। बस इसी बंधन के ऋणी वंशीधर ने दु:शासन और दुर्योधन द्वारा
चीरहरण के समय द्रौपदी की लाज बचाई। द्रौपदी ने कृष्ण को अपना भाई माना
था, इसलिए उन्होंने जीवन भर दौपदी की रक्षा की।
हर राज्य एवं देश में इसे मनाने का तरीका भी अलग अलग है जैसे -
नेपाल में भी राखी का त्योहार सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है। लेकिन
यहां इसे राखी न कहकर जनेऊ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन घर के
बड़े लोग अपने से छोटे लोगों के हाथों में एक पवित्र धागा बांधते हैं।
राखी के अवसर पर यहां एक खास तरह का सूप पीया जाता है, जिसे कवाती कहा
जाता है।
देश के पूर्वी हिस्से उड़ीसा में राखी को गमहा पूर्णिमा के नाम से मनाया
जाता है। इस दिन लोग अपने घर के गायों और बैलों को सजाते हैं और एक खास
तरह की डिश, जिसे मीठा और पीठा कहा जाता है, बनाते हैं। राखी के दिन
उड़ीसा में मीठा और पीठा को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों में बांटा जाता
है। यही नहीं, इस दिन राधा-कृष्ण की प्रतिमा को झूले पर बैठाकर झूलन
यात्रा मनायी जाती है।
महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा में राखी को नराली पूर्णिमा के नाम से
मनाया जाता है। इस दिन नारियल को समुद्र देवता को भेंट किया जाता है।
नराली शब्द मराठी से आया है और नराली को नारियल कहा जाता है। समुद्र देवता
को नारियल चढ़ाने के कारण ही इसे नराली पूर्णिमा कहा जाता है।
उत्तराखंड के कुमाऊं इलाके में रक्षाबंधन को जानोपुन्यु कहा जाता है। इस
दिन लोग अपने जनेऊ को बदलते हैं। जनेऊ का मतलब एक पवित्र धागा है, जो
यहां के लोग पहनते हैं।
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड में इसे कजरी पूर्णिमा के नाम
से जाना जाता है। यह किसानों और महिलाओं के लिए एक खास दिन होता है।
गुजरात के कुछ हिस्सों में रक्षाबंधन को पवित्रोपन के नाम से मनाया जाता है। इस दिन गुजरात में भगवान शिव की पूजा की जाती है।
पश्चिम बंगाल में रक्षाबंधन को झूलन पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है।
इस दिन भगवान कृष्ण और राधा की पूजा की जाती है, साथ ही महिलाएं अपने
भाइयों के अच्छे जीवन के लिए उनकी कलाइयों पर राखी बांधती है। राखी को
स्कूल, कॉलेज और मुहल्ले के लोग भी मनाते हैं ताकि भविष्य में अच्छे
रिश्ते बने रहें।
तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, गोवा, कोंकण और उड़ीसा में भी लोग राखी को
बड़े धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन लोग एक तरह के पवित्र धागे को बदलते हैं
और तरह-तरह के पवित्र पकवान बनाते और खाते हैं।
भारत के कई राज्यों में आज भी घर के बड़े को रक्षा सूत्र बांध कर अपनी
सुरक्षा का वचन लिया जाता है, ब्राह्मणों द्वारा हाथ में बांधे जाने वाला
कलावा भी रक्षा सूत्र का ही रूप है और इसके द्वारा हम अपनी सुरक्षा का वचन
भगवान से लेते है |
अगर साफ़ तौर पर कहा जाये तो रक्षा बंधन मात्र भाई – बहन का त्यौहार न
होकर, सभी पुरुष /स्त्री का त्यौहार है, इस दिन कोई भी स्त्री / पुरुष
अपने पति, भाई, बाप, जेठ, देवर और तो और अपने प्रेमी को भी रक्षा सूत्र
बांध अपनी रक्षा का वचन ले सकती है, यही नियम पुरुषो पर भी लागू होता
है|
रक्षा बंधन की बधाई ओर शुभकामनायेंआप सब को
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
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