किसी कारण बश मेरा उन्नीस सौ इकानबे में तीन मास के लिए सहारनपुर जाना हुआ. इस दौरान मेरे साथ देवेन्द्र सिंह (शाहजहांपुर), अलका पाल (शाहजहांपुर ), स्वाति (बदायूँ ) ने काफी अच्छा समय ब्यतीत किया . इस शहर में कई जगह देखने लायक हैं . कुछ मित्रों का नाम आज मेरी स्मर्ति में नहीं है . अगर कोई मित्र जो इन चित्रों में है ,चित्र देखने के बाद मुझसे संपर्क करेगा .मुझे अति ख़ुशी होगी .
Friday, March 21, 2014
किसी कारण बश मेरा उन्नीस सौ इकानबे में तीन मास के लिए सहारनपुर जाना हुआ. इस दौरान मेरे साथ देवेन्द्र सिंह (शाहजहांपुर), अलका पाल (शाहजहांपुर ), स्वाति (बदायूँ ) ने काफी अच्छा समय ब्यतीत किया . इस शहर में कई जगह देखने लायक हैं . कुछ मित्रों का नाम आज मेरी स्मर्ति में नहीं है . अगर कोई मित्र जो इन चित्रों में है ,चित्र देखने के बाद मुझसे संपर्क करेगा .मुझे अति ख़ुशी होगी .
Thursday, March 13, 2014
Thursday, March 6, 2014
Wednesday, February 26, 2014
शिब और शिबरात्रि
शिब और शिबरात्रि (धार्मिक मान्यताएँ )
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रात्रि यानी अंधकार का वक्त बुरी शक्तियों
या भावनाओं के हावी होने का समय होता है, जो प्रतीक रूप में भूत, पिशाच,
डाकिनी या शाकीनी के रूप में भी प्रसिद्ध है. इन बुरी ताकतों पर शिव का
नियंत्रण माना गया है, जिससे वह भूतभावन महाकाल भी कहें जाते हैं.वास्तव
में, प्रतीकात्मक तौर पर संकेत है कि बुराइयों, दोष या विकारों के कारण
जीवन में दु:ख और संताप रूपी अंधकार से मुक्ति पानी है तो शिव भक्ति के रूप
में अच्छाइयों के रक्षा कवच को पहनकर जीवन को सुखी और सफल बना सकते हैं.
इसके लिए शास्त्रों के अनुसार शाम के वक्त विशेष तौर पर प्रदोष तिथि या
प्रतिदिन शिव का ध्यान घर-परिवार की मुसीबतों से रक्षा करने वाला माना गया
है.महाशिवरात्रि पवित्र पर्व है. इस दिन शिव-पार्वती का पूजन कर विशेष फल
प्राप्त किया जा सकता है. इस दिन सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शव से शिव
होने की यात्रा ही जड़ से चैतन्य होने की यात्रा है. फाल्गुन माह के कृष्ण
पक्ष में चतुर्दशी को मनाया जाने वाला यह पर्व ‘शिवरात्रि’ के नाम से जाना
जाता है. इस दिन भोलेनाथ का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था.इस दिन शिव
मंत्र जप-हवन-अभिषेक हवन का बड़ा महत्व है. यदि मंदिर में पूजन इत्यादि
करें तो ठीक अन्यथा घर पर भी पूजन कार्य किया जा सकता है.पूजा के लिए
आवश्यक है शिवलिंग. महाशिवरात्रि पर शिवलिंग व मंदिर में शिव को गाय के
कच्चे दूध से स्नान कराने पर विद्या प्राप्त होती है. शिव को गन्ने के रस
से स्नान कराने पर लक्ष्मी प्राप्त होती है. भोलेनाथ को शुद्घ जल से स्नान
कराने पर सभी इच्छाएं पूरी होती है.
भगवान शिवलिंग पर बेलपत्र, अक्षत, दूध, फूल औल फल चढ़ाना चाहिए.योगिक संस्कृति में शिव को भगवान नहीं, बल्कि आदियोगी यानी पहले योगी अर्थात योग के जनक के रूप में जाना जाता है. शिव ने ही योग का बीज मनुष्य के दिमाग में डाला.शिव ने अपनी पहली शिक्षा अपनी पत्नी पार्वती को दी थी. दूसरी शिक्षा जो योग की थी, उन्होंने केदारनाथ में कांति सरोवर के तट पर अपने पहले सात शिष्यों को दी थी. यहीं दुनिया का पहला योग कार्यक्रम हुआ.बहुत सालों बाद जब योगिक विज्ञान के प्रसार का काम पूरा हुआ तो सात पूर्ण ज्ञानी व्यक्ति तैयार हुए- सात प्रख्यात साधु, जिन्हें भारतीय संस्कृति में सप्तऋषि के नाम से जाना और पूजा जाता है. शिव ने इन सातों ऋषियों को योग के अलग-अलग आयाम बताए और ये सभी आयाम योग के सात मूल स्वरूप हो गए. आज भी योग के ये सात विशिष्ट स्वरूप मौजूद हैं.इन सप्त ऋषियों को विश्व की अलग-अलग दिशाओं में भेजा गया, जिससे वे योग के अपने ज्ञान लोगों तक पहुँचा सकें जिससे इंसान अपनी सीमाओं और मजबूरियों से बाहर निकलकर अपना विकास कर सके.एक को मध्य एशिया, एक को मध्य पूर्व एशिया व उत्तरी अफ्रीका, एक को दक्षिण अमेरिका, एक को हिमालय के निचले क्षेत्र में, एक ऋषि को पूर्वी एशिया, एक को दक्षिण में भारतीय उपमहाद्वीप में भेजा गया और एक आदियोगी के साथ वहीं रह गया. हांलाकि समय ने बहुत कुछ मिटा दिया, लेकिन इसके बावजूद अगर उन इलाकों की संस्कृतियों पर गौर किया जाए तो आज भी इन ऋषियों के योगदान के चिन्ह वहां दिखाई दे जाएंगे. उसने भले ही अलग-अलग रूप-रंग ले लिए हो या फिर अपने रूप में लाखों तरीकों से बदलाव कर लिया हो, लेकिन उन मूल सूत्रों को अब भी देखा जा सकता है.
भगवान शिवलिंग पर बेलपत्र, अक्षत, दूध, फूल औल फल चढ़ाना चाहिए.योगिक संस्कृति में शिव को भगवान नहीं, बल्कि आदियोगी यानी पहले योगी अर्थात योग के जनक के रूप में जाना जाता है. शिव ने ही योग का बीज मनुष्य के दिमाग में डाला.शिव ने अपनी पहली शिक्षा अपनी पत्नी पार्वती को दी थी. दूसरी शिक्षा जो योग की थी, उन्होंने केदारनाथ में कांति सरोवर के तट पर अपने पहले सात शिष्यों को दी थी. यहीं दुनिया का पहला योग कार्यक्रम हुआ.बहुत सालों बाद जब योगिक विज्ञान के प्रसार का काम पूरा हुआ तो सात पूर्ण ज्ञानी व्यक्ति तैयार हुए- सात प्रख्यात साधु, जिन्हें भारतीय संस्कृति में सप्तऋषि के नाम से जाना और पूजा जाता है. शिव ने इन सातों ऋषियों को योग के अलग-अलग आयाम बताए और ये सभी आयाम योग के सात मूल स्वरूप हो गए. आज भी योग के ये सात विशिष्ट स्वरूप मौजूद हैं.इन सप्त ऋषियों को विश्व की अलग-अलग दिशाओं में भेजा गया, जिससे वे योग के अपने ज्ञान लोगों तक पहुँचा सकें जिससे इंसान अपनी सीमाओं और मजबूरियों से बाहर निकलकर अपना विकास कर सके.एक को मध्य एशिया, एक को मध्य पूर्व एशिया व उत्तरी अफ्रीका, एक को दक्षिण अमेरिका, एक को हिमालय के निचले क्षेत्र में, एक ऋषि को पूर्वी एशिया, एक को दक्षिण में भारतीय उपमहाद्वीप में भेजा गया और एक आदियोगी के साथ वहीं रह गया. हांलाकि समय ने बहुत कुछ मिटा दिया, लेकिन इसके बावजूद अगर उन इलाकों की संस्कृतियों पर गौर किया जाए तो आज भी इन ऋषियों के योगदान के चिन्ह वहां दिखाई दे जाएंगे. उसने भले ही अलग-अलग रूप-रंग ले लिए हो या फिर अपने रूप में लाखों तरीकों से बदलाव कर लिया हो, लेकिन उन मूल सूत्रों को अब भी देखा जा सकता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर इच्छा पूर्ति के लिए हैं अलग शिवलिंग
पार्थिव शिवलिंग- हर कार्य सिद्धि के लिए.
गुड़ के शिवलिंग- प्रेम पाने के लिए.
भस्म से बने शिवलिंग- सर्वसुख की प्राप्ति के लिए.
जौ या चावल या आटे के शिवलिंग- दाम्पत्य सुख, संतान प्राप्ति के लिए.
दही से बने शिवलिंग- ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए.
पीतल, कांसी के शिवलिंग- मोक्ष प्राप्ति के लिए.
सीसा इत्यादि के शिवलिंग- शत्रु संहार के लिए.
पारे के शिवलिंग- अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष के लिए.
गुड़ के शिवलिंग- प्रेम पाने के लिए.
भस्म से बने शिवलिंग- सर्वसुख की प्राप्ति के लिए.
जौ या चावल या आटे के शिवलिंग- दाम्पत्य सुख, संतान प्राप्ति के लिए.
दही से बने शिवलिंग- ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए.
पीतल, कांसी के शिवलिंग- मोक्ष प्राप्ति के लिए.
सीसा इत्यादि के शिवलिंग- शत्रु संहार के लिए.
पारे के शिवलिंग- अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष के लिए.
भूख को दबाने वाले प्राकृतिक भोजन
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बीन फाइबर और प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत है। साथ ही इसमें केलोरी भी काफी कम होता है। इससे आप लंबे समय तक भूख को दूर रख सकते हैं।
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पानी
जी हां, एक ग्लास पानी पीकर भी आप भूख को शांत कर सकते हैं। इसलिए नियमित
अंतराल पर पानी पीते रहें। इससे आपको हाइड्रेटेड रहने में भी मदद मिलेगी।
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हरी सब्जियां पानी और फाइबर से भरपूर होती हैं, जिससे यह पेट को लंबे समय तक भरी रखती है।
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पुदीना की पत्ती में भूख को शांत करने की अद्भुत क्षमता होती है। आप
पुदीना की पत्ती को सीधे भी खा सकते हैं या फिर चार या दूसरे डिश के साथ ले
सकते हैं।
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बादाम से आप न सिर्फ अस्वस्थ स्नैक्स से बचेंगे बल्कि यह आपकी भूख को भी शांत करेगा।
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ग्रीन टी में कैटकोलामाइन पाया जाता है, जो भूख को कम करता है। इसमें
पॉलीफिनॉल पाए जाने के कारण यह थर्मो जेनेसिस को बढ़ाता है और फैट बर्निंग
में मदद करता है।
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अलसी का बीज फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड और प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत
है। यह छोटा बीज भले ही हमारे पेट में ज्यादा जगह न लेता हो पर यह भूख को
दबाने में काफी मददगार होता है।
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साल्मन मछली
सैमन प्रोटीन और ओमेगा 3 फैटी एसिड का एक बेहतरीन स्रोत है। यह
पॉलीसैचुरेटेड फैटी एसिड हार्मोन में बदलाव लाता है, जो भूख को दबाता है।
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70 प्रतिशत डार्क चॉकलेट पाचन की प्रक्रिया को धीमा कर देता है और
हमें अच्छा महसूस कराने वाले हार्मोन का स्राव करता है। डार्क चॉकलेट का एक
टुकड़ा भी आपको संतुष्ट कर सकता है।
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एवाकाडो स्वस्थ मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड और फाइबर से भरा होता है। इन
मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड को पचने में लंबा समय लगता है, जिससे हमरा पेट
लंबे समय तक भरा हुआ लगता है।
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गर्म मसाला से न सिर्फ भोजन स्वादिष्ट बनता है, बल्कि इससे शरीर को भी
कई तरह से फायदा पहुंचता है। इतना ही नहीं, यह भूख की इच्छा को भी कम करता
है।
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दही
दही से आपको थाइमाइन मिलेगा जो भोजन की इच्छा को शांत करता है। साथ ही दही
इम्युनिटी को भी बेहतर बनाता है और बीमारी की प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने के
साथ-साथ वजन कम करने में भी मदद करता है।
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Friday, February 14, 2014
मोहब्बत... प्रेम... प्यार... प्रीत... चाहत... एक अहसास
मोहब्बत...
प्रेम... प्यार... प्रीत... चाहत... एक अहसास

ईश्वर से प्रेम के लिए प्रार्थना करनी चाहिए, क्योंकि दुआओं में असर होता है.
जब भी किसी को प्रेम करें तो याद रखें कि संयम और प्रतीक्षा सबसे उत्तम उपाय है.प्रेम प्राप्ति के लिए आप भगवान् कामदेव और देवी रति के साथ साथ शिव-शक्ति, गणपति, और भगवान विष्णु जी की पूजा कर सकते हैं.इन्द्र देवता, अग्नि देवता, चन्द्रमा देवता, अप्सराओं व यक्षिणी देवियों की उपासना भी प्रेम प्रदान करती हैं.देवी दुर्गा जी से मांगी गयी प्रेम व सुख शान्ति सौभाग्य की तत्काल पूर्ती होती है.यदि प्रेम विवाह करना चाहते हैं तो व्रत एवं दान बहुत सहायक होते हैं.
मोहब्बत...
प्रेम... प्यार... प्रीत... चाहत... एक अहसास है जिसे शब्दों में व्यक्त
कर पाना बहुत कठिन है. प्रेम को सिर्फ महसूस किया जा सकता है. यह सिर्फ
भावनाओं का अटूट संबंध है. बहुत से लोगों का प्रश्न होता है कि प्रेम क्या
है? प्रेम होता कैसे है? और जब होता है तो क्या होता है? प्रेम की महानता
के ऐसे असंख्य किस्से, उदाहरण है जिन्हें हम कहीं ना कहीं अक्सर
सुनते-पढ़ते और कहते रहते हैं. प्रेमियों के लिए आदर्श प्रेम है राधा-कृष्ण
का प्रेम. श्रीकृष्ण का संपूर्ण जीवन प्रेम ही सिखाता है.एक प्रकार से देखा जाए तो वेलेंटाइन बसंतोत्सव का ही एक आधुनिक नाम है
क्योंकि यह दिन बसंत के मौसम में ही आता है. यह पर्व सिर्फ दो प्रेमियों तक
सीमित नहीं रहता बल्कि पशु-पक्षी भी वेलेंटाइन-डे मनाते हैं. बसंत के मौसम
ही पशु-पक्षियों का मिलन होता है.भगवान श्रीकृष्ण ने भी अपने समय में संत वेलेंटाइन का किरदार निभाया था. वृंदावन की कुंज गलियों में गोपीओं के साथ भगवान श्रीकृष्ण बसंत ऋतु के दौरान रासलीलाएँ करते-करते गोपियों के मन में प्रेम के बीज को रोपित करते थे. उनकी बाँसुरी से छोड़े गए मधुर आलापों को सुनकर गोपियाँ सब कुछ छोड़कर इस प्यार के जादूगर के पास आ जाती थीं.
बसंत के दौरान ही पार्वती ने भगवान श्री शंकर के प्यार को जीतने में सफलता प्राप्त की थी. इस ऋतु में ही कामदेव और रति ने अपने मोहक नृत्य से भगवान श्री शंकर के मन में देवी पार्वती के प्रति प्यार का रस जगाया था. श्रीकृष्ण ने अपनी बहन सुभ्रद्रा और अर्जुन को मिलवाने के लिए भी संत वेलेंटाइन की भूमिका निभाई थी.
खुदा जब इश्क की इबारत लिखने बैठा तो थोड़ी देर बाद ही अधूरा छोड़कर उठ बैठा. इसके अहसास को शिद्दत से महसूस करने के लिए ही इसका अधूरापन बहुत जरूरी है. खुदा ने यह जान-बूझकर अधूरा छोड़ा क्योंकि इसे पूरा कर देता तो इंसान को किसी चीज की जरूरत नहीं होती. किसी को खो देने की टीस किसी को पा लेने से खुशी से ज्यादा असर रखती है. हर किसी की जिंदगी में किसी को पा लेने की तीव्र उत्कंठा होती है, जो मंजिल तक नहीं पहुंच पाने के दर्द की शक्ल में हमेशा जिंदा रहती है. चाहे कुछ भी हो, प्रेम आपके अंतर्मन को नई परिभाषा देता है.
हमेशा किसी की हां से या किसी के पहलू में जिंदगी गुजारने से ही इश्क पूरा नहीं होता. इश्क होने से पहले क्या इस बात की शर्त रखी जाती है कि आप जिसे चाहें वह ताउम्र आपके पास रहे? क्या साथ रहना भी पास रहने जितना अहम नहीं है? शायद है, क्योंकि आपको उस शख्स से अहसासों का जुड़ाव है जो उम्र या फासलों से कभी नहीं मिट पाता.
कई कहानियां अनचाही चुभती टीस पर खत्म होती हैं. ऐसे में लगता है कि दुनिया में कुछ भी नहीं बचा. सब कुछ खत्म हो गया. लेकिन यहीं से आपकी मोहब्बत आपकी प्रेरणा बन जाती है. आपके सोचने की शक्ति आश्चर्यजनक रूप से बदलने लगती है. यह ऐसा वक्त होता है जब आपके भीतर सब कुछ टूटने लगता है लेकिन आपके अंदर सृजन नई अंगड़ाई लेता है.
इश्क वह मुकद्दस जज्बा है जिसमें डूबकर ही उसे समझा जा सकता है. किनारे बैठकर इसकी गहराई का अंदाजा नहीं लगा सकते. हर किसी की जिंदगी में ऐसा मौका आता है जब आपकी मोहब्बत उजड़ जाती है लेकिन यह अंत नहीं होता. यहां से आपकी नई यात्रा शुरू होती है. आपके अंतर की यात्रा, जिसमें आपको खुद को खोजना और पाना होता है.
वैलेंटाइन्स डे की खुमारी तकरीबन सारी दुनिया में देखी जा रही है. पूरब से लेकर पश्चिम तक, उत्तर से लेकर दक्षिण तक.कहते हैं कि खुशियाँ मनाने के लिए
बहानों की ज़रूरत पड़ती है. वैलेंटाइन्स डे का मौका नए दौर के नौजवानों के
लिए ऐसा ही एक मौका होता है. हालांकि पश्चिमी देशों में वैलेंटाइन्स डे का
चलन थोड़ा पुराना है पर पूरब में ये अपेक्षाकृत नया चलन है.
वैलेंटाइन्स डे के दिन दुनिया भर
में गुलाबों की बिक्री जबरदस्त तरीके से बढ़ जाती है.
ये मौका बाज़ार और कारोबार के लिहाज से भी
अहम होता है. कई कंपनियाँ इस अवसर को भुनाने की कोशिश में रहती है.
इस मौके पर दुनिया भर के प्रेमी युगल अपनी शादी की प्लानिंग कर रहे हैं
मदन मोहन सक्सेना
Tuesday, February 11, 2014
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