Thursday, February 14, 2013
गणतंत्र दिबस
मेरा भारत महान
जय हिंदी जय हिंदुस्तान मेरा भारत बने महान
गंगा यमुना सी नदियाँ हैं जो देश का मन बढ़ाती हैं
सीता सावित्री सी देवी जो आज भी पूजी जाती हैं
यहाँ जाति धर्म का भेद नहीं सब मिलजुल करके रहतें हैं
गाँधी सुभाष टैगोर तिलक नेहरु का भारत कहतें हैं
यहाँ नाम का कोई जिक्र नहीं बस काम ही देखा जाता है
जिसने जब कोई काम किया बह ही सम्मान पाता है
जब भी कोई मिले आकर बो गले लगायें जातें हैं
जन आन मान की बात बने तो शीश कटाए जातें हैं
आजाद भगत बिस्मिल रोशन बीरों की ये तो जननी है
प्रण पला जिसका इन सबने बह पूरी हमको करनी है
मथुरा हो या काशी हो चाहें अजमेर हो या अमृतसर
सब जातें प्रेम भाब से हैं झुक जातें हैं सबके ही सर.
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
प्यार ही प्यार
प्यार रामा में है प्यारा अल्लाह लगे ,प्यार के सूर तुलसी ने किस्से लिखे
प्यार बिन जीना दुनिया में बेकार है ,प्यार बिन सूना सारा ये संसार है
प्यार पाने को दुनिया में तरसे सभी, प्यार पाकर के हर्षित हुए हैं सभी
प्यार से मिट गए सारे शिकबे गले ,प्यारी बातों पर हमको ऐतबार है
प्यार के गीत जब गुनगुनाओगे तुम ,उस पल खार से प्यार पाओगे तुम
प्यार दौलत से मिलता नहीं है कभी ,प्यार पर हर किसी का अधिकार है
प्यार से अपना जीवन सभारों जरा ,प्यार से रहकर हर पल गुजारो जरा
प्यार से मंजिल पाना है मुश्किल नहीं , इन बातों से बिलकुल न इंकार है
Monday, February 11, 2013
कैसे कैसे खाने
खाने-पीने का शौक सभी को होता है. एक
सामान्य व्यक्ति अपने आसपास में
बनने वाले आम पकवानों से वाकिफ होता है
और उसे बाकी दुनिया में क्या खाया
जा रहा है उसका कम ही ज्ञान होता है. दुनियाभर में पारंपरिक खाने से एकदम अलग क्या
खाया जा रहा है .अगर आपको पता लग जाए तो हो सकता है आप असहज महसूस न करें. जानतें है कि दुनिया भर में क्या क्या खाना चलन में है।
Tuesday, February 5, 2013
कुंभ
संगम सथल पर लगे कुंभ की ओर सभी निगाहें जमी हुई है। 12 सालों पर लगने की वजह से ये सबके आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।पहले मॉडल पूनम पाण्डेय, शिल्पा शेट्टी, सुर्खियाँ बटोरने कुम्भ गयीं और अब राजनीतिक पार्टियां कहां इस मौके का फायदा उठाने से चूक सकती है। बीजेपी नेता पहले ही मौका भुना चुकें हैं तो कांग्रेस भी इस मौके को नहीं चूकना चाहती हैं। इसी सबको देखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी महाकुंभ में डुबकी लगाकर कांग्रेस की नैया को पार लगाने की कवायद में जुट गई है। शायद बहती गंगा में हाथ धोने का मुहाबरा इन सब लोगों की बजह से ही उपयोग में आया ।
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
Subscribe to:
Posts (Atom)