Saturday, September 7, 2013

बिध्न बिनाशक गणपति

आप  सब  को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ। बिध्न बिनाशक गणपति की कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे.



वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा


 Vakra-Tunndda Maha-Kaaya Surya-Kotti Samaprabha
Nirvighnam Kuru Me Deva Sarva-Kaaryessu Sarvadaa




Meaning:

O Lord Ganesha, of Curved Trunk, Large Body, and with the Brilliance of a Million Suns,
Please Make All my Works Free of Obstacles, Always.










 मदन मोहन सक्सेना 

Thursday, September 5, 2013

मेरी ग़ज़ल नाभिकीय भारती (हैदराबाद ) में प्रकाशित



कभी गर्दिशों से दोस्ती कभी गम से याराना हुआ
चार पल की जिन्दगी का ऐसे कट जाना हुआ..

इस आस में बीती उम्र कोई हमे अपना कहे .
अब आज के इस दौर में ये दिल भी बेगाना हुआ

जिस रोज से देखा उन्हें मिलने लगी मेरी नजर
आखो से मय पीने लगे मानो की मयखाना हुआ

इस कदर अन्जान हैं हम आज अपने हाल से
हमसे मिलकरके बोला आइना ये शख्श बेगाना हुआ

ढल नहीं जाते हैं लब्ज यूँ ही रचना में कभी
कभी ग़ज़ल उनसे मिल गयी कभी गीत का पाना हुआ

प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना



मेरी ग़ज़ल नाभिकीय भारती (हैदराबाद ) में प्रकाशित

Sunday, September 1, 2013

अपूर्ब जनगाथा में प्रकाशित मेरी रचनाएँ।

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रचनाएँ


अपूर्ब जनगाथा में प्रकाशित मेरी रचनाएँ।

मदन मोहन सक्सेना

Friday, August 30, 2013

फूल गुलाब का
































फूल जीवन का चिरंतन प्राण है 
या समर्पण का निरापरिमाण है  
फूल पतझड़ है नहीं फूलों भरा मधुमास है  
तृप्ती हो मन की यहाँ ऐसी अनोखी प्यास है 
फूल के मधुमास में साबन मनाना चाहता हूँ 
गुनगुनाना चाहता हूँ गुनगुनाना चाहता हूँ


मदन मोहन सक्सेना



हम हमेशा मुस्कराएँ हैं





हम हमेशा मुस्कराएँ हैं (कथा बिम्ब)

मदन मोहन सक्सेना

Monday, August 26, 2013

अब तो आ कान्हा जाओ



अब तो आ कान्हा  जाओ, इस धरती पर सब त्रस्त हुए 
दुःख सहने को भक्त तुम्हारे आज क्यों  अभिशप्त हुए 

नन्द दुलारे कृष्ण कन्हैया  ,अब भक्त पुकारे आ जाओ 
प्रभु दुष्टों का संहार करो और  प्यार सिखाने आ जाओ 









 
















मदन मोहन सक्सेना