Friday, September 20, 2013

MY POEMS(Secular Communal )& Pyar Ke Bol In POEMOCEAN



जब से बेटे जबान हो गए 
मुश्किल में क्यों प्राण हो गए 

किस्से सुन सुन के संतों के 
भगवन भी हैरान हो गए 

आ धमके कुछ ख़ास बिदेशी 
घर बाले मेहमान हो गए 

सेक्युलर कम्युनल के चक्कर में 
गाँव गली शमसान हो गए 

कैसा दौर चला है अब ये 
सदन कुश्ती के मैदान हो गए 

बिन माँगें सब राय  दे दिए 
कितनों के अहसान हो गए

प्रस्तुति:
ग़ज़ल  (सेक्युलर कम्युनल)

मदन मोहन सक्सेना




MY POEMS(Secular Communal )& Pyar Ke Bol In  POEMOCEAN


Madan Mohan Saxena 


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