जब से बेटे जबान हो गए
मुश्किल में क्यों प्राण हो गए
किस्से सुन सुन के संतों के
भगवन भी हैरान हो गए
आ धमके कुछ ख़ास बिदेशी
घर बाले मेहमान हो गए
सेक्युलर कम्युनल के चक्कर में
गाँव गली शमसान हो गए
कैसा दौर चला है अब ये
सदन कुश्ती के मैदान हो गए
बिन माँगें सब राय दे दिए
कितनों के अहसान हो गए
प्रस्तुति:
ग़ज़ल (सेक्युलर कम्युनल)
मदन मोहन सक्सेना
MY POEMS(Secular Communal )& Pyar Ke Bol In POEMOCEAN
Madan Mohan Saxena
No comments:
Post a Comment