Thursday, October 11, 2012

ब्रह्माण्ड और हम

 ब्रह्मांड में धरती की हैसियत एक तिनके के बराबर भी नहीं है और प्रथ्बी में इन्सान द्वारा बनायी गयी किसी भी बस्तु की औकात आसानी से समझी जा सकती है। फिर भी आदमी है की उसका घमंड जाने का नाम नहीं लेता . यदि इन्सान इस बात को अपने अन्दर उतार ले तो नाना प्रकार के कष्टों से मानव जाति का कल्याण और हमारी धरा भी सुरक्षित रह सकती है।











































बक्त की रफ़्तार का कुछ भी भरोसा है नहीं
कल तलक था जो सुहाना कल बही विकराल हो ...




एक जमी बक्शी थी कुदरत ने हमको यारो लेकिन

हमने सब कुछ बाट दिया मेरे में और तेरे में

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