Monday, October 15, 2012
Thursday, October 11, 2012
ब्रह्माण्ड और हम
ब्रह्मांड में धरती की हैसियत एक तिनके के बराबर भी नहीं है और प्रथ्बी में
इन्सान द्वारा बनायी गयी किसी भी बस्तु की औकात आसानी से समझी जा सकती है।
फिर भी आदमी है की उसका घमंड जाने का नाम नहीं लेता . यदि इन्सान इस बात
को अपने अन्दर उतार ले तो नाना प्रकार के कष्टों से मानव जाति का कल्याण और
हमारी धरा भी सुरक्षित रह सकती है।
हमने सब कुछ बाट दिया मेरे में और तेरे में
बक्त की रफ़्तार का कुछ भी भरोसा है
नहीं
कल तलक था जो सुहाना कल बही विकराल हो
...
एक जमी बक्शी थी कुदरत ने हमको
यारो लेकिन
हमने सब कुछ बाट दिया मेरे में और तेरे में
Wednesday, October 10, 2012
मेरे आराध्य
कहतें है की जीब के शरीर में परमात्मा का बास होता है लेकिन हममें से
कितने ये बात अपनी जिंदगी में उतरतें हैं . सुख में सज्जन लोंग प्रभु को
याद करतें हैं और दुष्ट और नास्तिक लोग भी दुर्दिनों में प्रभु के द्वार
जाने लगतें है।परम पिता परमात्मा सब लोगों को सुख शांति और सम्पदा प्रदान
करें।
हे रब किसी से छीन कर मुझको ख़ुशी न दे
जो दूसरों को बख्शी को बो जिंदगी न दे
तन दिया है मन दिया है और जीवन दे दिया
प्रभु आपको इस तुच्छ का है लाखों लाखों शुक्रिया
चाहें दौलत हो ना हो कि पास अपने प्यार हो
प्रेम के रिश्ते हों सबसे ,प्यार का संसार हो
मेरी अर्ध्य है प्रभु आपसे प्रभु शक्ति ऐसी दीजिये
मुझे त्याग करूणा प्रेम और मात्रं भक्ति दीजिये
तेरा नाम सुमिरन मुख करे कानों से सुनता रहूँ
करने को समर्पित पुष्प मैं हाथों से चुनता रहूँ
जब तलक सांसें हैं मेरी ,तेरा दर्श मैं पाता रहूँ
ऐसी कृपा कुछ कीजिये तेरे द्वार मैं आता रहूँ
प्रस्तुति :
मदन मोहन सक्सेना
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